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माया
शाखों को दर्द नहीं होता
सारे पत्तों के गिरने का
आस है नये पल्लव आयेंगे
यही दस्तूर है प्रकृति का
मोह नहीं लोभ संचय नहीं
ईर्ष्या द्वेष नफ़रत घृणा नहीं
फल समय पर पक गिरेंगे
इन्हें माया का भ़म नहीं
क्योंकि ये अडिग रहते हैं
जो अडिग स्थिर हो गया
उसे माया कभी नहीं सताती
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