...

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पिपासिनी
पिपासिनी

तुम्हारे अहं की तलवार
मेरे प्रेम की म्यान में
कुछ इस तरह पैठी है
रक्त पिपासिनी है अंदर
रोज छीलती है हर घाव
बस , रक्त रोक के बैठी है





© Ninad