पिपासिनी
पिपासिनी
तुम्हारे अहं की तलवार
मेरे प्रेम की म्यान में
कुछ इस तरह पैठी है
रक्त पिपासिनी है अंदर
रोज छीलती है हर घाव
बस , रक्त रोक के बैठी है
© Ninad
तुम्हारे अहं की तलवार
मेरे प्रेम की म्यान में
कुछ इस तरह पैठी है
रक्त पिपासिनी है अंदर
रोज छीलती है हर घाव
बस , रक्त रोक के बैठी है
© Ninad