पुरानी बात हो गई
अब न कोई खुरचण खाता है न मळाई,
एक दिन से ज्यादा कहाँ रुकता है अब जमाई ।
वो झूलता छींका और वो जिमावणी,
बीती बात हो गई अब वो मिट्टी की कढावणी ।
देखते देखते न जाने क्या क्या बदल गया,
उखळ-मूसळ, चंगेरी, कुंडा तो गायब ही हो गया।
अब न इण्डि मिलती है न पिढी,
बहुत सारी चीजों का नाम तक नहीं जानती है नई पीढ़ी।
छप्पर की बाती में चहचहाती चिड़िया न जाने कहाँ उड़ गई,
मोबाइल आते ही दादा-दादी की कहानी भी खो गई।
हथचक्की, देगची, घीळडी सब पुरानी बात हो गई,
कुकर आते ही रसोई की खुशबू भी चली गई।
'कृष्ण' याद कर न हो उदास कुछ नहीं है अब तेरे हाथ,
आदमी भी तो बदल गए हैं अब वक्त के साथ🙏