चाँद
तेरी आँखों के समुन्दर में ..
डूब जाने को जी करता है ,
इन ख़ामोश नज़रों पर गज़ल..
गुनगुनाने को जी करता है ,
दे अगर इज़ाज़त तो ..
तेरे रूख़ से नक़ाब हटा दूँ ज़रा ,
आसमां के चांद को आज..
जलाने को जी करता है । S.S.
Sarita Saini
© Lafz_e_sarita
डूब जाने को जी करता है ,
इन ख़ामोश नज़रों पर गज़ल..
गुनगुनाने को जी करता है ,
दे अगर इज़ाज़त तो ..
तेरे रूख़ से नक़ाब हटा दूँ ज़रा ,
आसमां के चांद को आज..
जलाने को जी करता है । S.S.
Sarita Saini
© Lafz_e_sarita