...

7 views

यह आँखे
बरस जाती है अक्सर यह
कभी ग़म मेें तो कभी सुकून मेें!!

तरस जाती है अक्सर मिलने को
'प्रेम' से हर दर्द ओ ग़म मेें!!

हार देखती है.. कभी जीत देखती
इंसानियत का ऐसा असर देखती!!

छू कर अरमाँ पूरे करना चाहते सब
जिस्म संग रूह को नोचते देखती!!

मार देते हर एहसास को लोग यहाँ
ज़िंदा इंसान को कत्ल होते देखती!!

बहती साँस रोकना काम ज़माने का
इसमे शामिल अपनों को यह देखती!!

प्रेम देखती, प्यास देखती, तड़प देखती
प्रेम मेें दो जिस्म को एक जान देखती!!
© कृष्णा'प्रेम'