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लुटे हुए
दो साल बीत गए
न वो लौटे
न हम उन्हे पुकार पए।
क्या वो अब भी
हमे याद करते हो गए
क्या वो आज भी
हमारी बाते फूलो
से करते हो गए
किसे पूछे हाल पी का
कैसे गुज़रे ये तन्हा राते
बिन पिया के।
हम लुटे हुए
घर तरह जो खामोशी
को ओढ़े बस खड़ा हुआ है।
© Tanya Oberoi
न वो लौटे
न हम उन्हे पुकार पए।
क्या वो अब भी
हमे याद करते हो गए
क्या वो आज भी
हमारी बाते फूलो
से करते हो गए
किसे पूछे हाल पी का
कैसे गुज़रे ये तन्हा राते
बिन पिया के।
हम लुटे हुए
घर तरह जो खामोशी
को ओढ़े बस खड़ा हुआ है।
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