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Daastan-e-ishq
यूँ तो इशारों इशारों में समझा दिया
उसके होठों की मुस्कान ने बतला दिया
बात अब साफ़ थी उनसे इक़रार की
प्यार का पहला ख़त और इज़हार की
पास पहुँचे जो उनके दिल धड़कने लगा
वो वक़्त वहाँ ही ठहरने लगा
हमने पूछा था डरते हुए आपसे
नंबर मिलेगा क्या वाट्स-ऐप से
उनके होंठो पे आई एक प्यारी तबस्सुम
रातों में करने लगे हम तकल्लुम
क्या ख़ूबसूरत समा बन गया था
तू मेरा सारा जहाँ बन गया था
प्यार को जाने किसकी नज़र लग गयी
उसकी शादी किसी और घर लग गयी
हमने कोशिश बहुत की बचा लें ये रिश्ता
ज़िंदगी में अपनी सजा लें ये रिश्ता
इश्क़ को अपने हम बचा ना सके
ख़्वाब अपने हम सजा ना सके
हो गयी उसकी शादी फिर कुछ रोज़ में
इश्क़ की हुई बरबादी कुछ रोज़ में
क़ैद-ए-मोहब्बत से मेरी अब बरी हुयी
सुना है घर में उसके एक परी हुयी
दुआ है तू ख़ुश-ओ-आबाद रहे
मेरे ख़्यालों से आज़ाद रहे
हमारा है क्या हम तो मेहमान हैं
मोहब्बत हो दुनिया में अरमान हैं
सुना है जोड़े बने आसमाँ पर
क्यूँ परेशान हों भला हम यहाँ पर
कोई और है अब तुम पर नाफ़िज़
ख़ुदा ख़ैर रखे चलो अल्लाह हाफ़िज़
© words_of_zaiغम
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