"प्रणय- वर्षा में भीगकर"
लब गुलाब ये तेरे, लबों से अपने सींचकर,
लगा कर अंग तुझे, बाहों में कस भींचकर।
अंग से अंग मिला, इस तरह सटा कर उफ़,
होते सराबोर तेरे, प्रणय वर्षा में भीगकर।
यूँ वार नयन के, नयनों पर सहते प्यार से,
लब कानों...
लगा कर अंग तुझे, बाहों में कस भींचकर।
अंग से अंग मिला, इस तरह सटा कर उफ़,
होते सराबोर तेरे, प्रणय वर्षा में भीगकर।
यूँ वार नयन के, नयनों पर सहते प्यार से,
लब कानों...