ग़ज़ल
उनका खून खून है क्या हमारा खून पानी है
हमारे खून में भी वही गर्मी वही जवानी है
उनकी आह ही कर देती है तूफ़ान बरपा
हमारा ख़ून बह जाना उनके लिए बेमानी है
मज़दूर को इतनी हिकारत से देखने वालो
क्यों नहीं देखते उसका जज्बा लासानी है
बड़े महलों में रहते, ऊंचे हैं ख्वाब उनके
कुटियों में रहने वालों के चेहरे पे वीरानी...
हमारे खून में भी वही गर्मी वही जवानी है
उनकी आह ही कर देती है तूफ़ान बरपा
हमारा ख़ून बह जाना उनके लिए बेमानी है
मज़दूर को इतनी हिकारत से देखने वालो
क्यों नहीं देखते उसका जज्बा लासानी है
बड़े महलों में रहते, ऊंचे हैं ख्वाब उनके
कुटियों में रहने वालों के चेहरे पे वीरानी...