...

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युवा शक्ति
जाग उठ अब तू खड़ा हो
नवयुवक अब सिंह बन
नाद कर तू अब वो भीषण
शत्रु के मन में हो कम्पन
चिन्ह अपने छोड़ जा तू
रुख़ हवा का मोड़ जा तू
बन अटल किसलय की भांति
हर बाधाओं में डटा हो
जाग उठ अब तू खड़ा हो
शम्भु का तिरशूल बन तू
शत्रु का तू कर दमन
राष्ट्र को गौरवान्वित कर
वो करे तुम को नमन
अपनी राह तू खुद बना
तन में तेरे औज हो
उत्कर्ष तेरा सिर झुकाए
द्वार तेरे यूं खड़ा हो
जाग उठ अब तू खड़ा हो
भारती की वीणा बन तू
भास्कर की बन चमक
काज कर ले कुछ तू ऐसा
सृष्टि में भी हो धमक
रक्त में वो तेज़ तेरे
शील तेरा शुद्ध हो
स्वयं बन इस तू काबिल
राष्ट्र करे कर जोड़ अपने
वीर तुम को यूं नमन।।
© सृष्टि