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क्या मैं चढ़ाऊं?
मैं खड़ी तेरे द्वार प्रभु,क्या तुझे चढ़ाऊं
कहे मन कुछ और दिल कहे मैं बताऊं
लेकर आई जल,दूध, फूल और फल
लोग कहे क्यों चढ़ाए झूठा,सब बदल
मैं पड़ी सोच में ले आई शुद्ध और ताजा अभी
कौन समझाए मुझे कैसे है झूठे ये सभी
जल मछली,दूध बछड़े का,फूल-फल भंवरे और पक्षी का
है ना झूठा सोच जरा ,बता हाल तेरे दिल का
करूं में क्या मेरे भगवान ,क्या तुझे में चढ़ाऊं
कहे मन कुछ और दिल कहे क्या मैं बताऊं
अब तो मैं खुद को ही करू तुझे अर्पण
लेकिन इंसान भी तो पापों से झूठा है भगवन।
© mehakkhushiki #KRK#
कहे मन कुछ और दिल कहे मैं बताऊं
लेकर आई जल,दूध, फूल और फल
लोग कहे क्यों चढ़ाए झूठा,सब बदल
मैं पड़ी सोच में ले आई शुद्ध और ताजा अभी
कौन समझाए मुझे कैसे है झूठे ये सभी
जल मछली,दूध बछड़े का,फूल-फल भंवरे और पक्षी का
है ना झूठा सोच जरा ,बता हाल तेरे दिल का
करूं में क्या मेरे भगवान ,क्या तुझे में चढ़ाऊं
कहे मन कुछ और दिल कहे क्या मैं बताऊं
अब तो मैं खुद को ही करू तुझे अर्पण
लेकिन इंसान भी तो पापों से झूठा है भगवन।
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