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अनुलोम-विलोम
#EmotionalDuality
मिलना-बिछुड़ना, बिछड़कर फिर मिलना,
हंसना-रोना,रोकर फिर हंसना।
समस्या-समाधान, फिर समस्याओं से जूझना,
जीवन-मरण, फिर नवजीवन कल्पना।
सार्थक-निरर्थक बातों का सार्थक परिणाम मिलना,
अनुलोम-विलोम कार्यों का जीवन मे होना।
करता इस जीवन को चलायमान,
नित नए संवेदनाओं से जीवन जीना।
संजीव बल्लाल
© BALLAL S