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खौफ
#खौफ

व्याकुल हूँ जनाब मैं, बाहर निकलूँ भी या नहीं
चहूंओर लुटेरे बैठे है,कहीं घुमु भी या नहीं
पहरा है मुझ निर्बल पर, खाकी की उन दीवारों का
खौफ दिखाते वर्दी का,रिश्वत दे दूं या नहीं

पैदल जाओ तो मिले चोर लूटेरे
गाड़ी पे जाओ तो वर्दी के लूटेरे
खुब लूटते सारे हमको
मिलेजूले है चोर-चोर भाई मौसेरे

गरीब है देख यह,कानून का रोब दिखाते है
आये दिन सुबह-शाम थानों में चक्कर कटाते है
आमजन में भय पले अपराधी में विश्वास
जब चले हुक्म सामंत का, रात में लाश जलाते है



© जितेन्द्र कुमार "सरकार "