...

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तुम्हें वो रात याद है
जब तुम्हारे हाथों ने मेरे हाथ को थामा था,
पहली मर्तबा तुम्हारे होटों को महसूस किया था।

तुम्हारी धड़कन को जान कर,
सुकून सा मिला था।

जब कोई न था,
सिर्फ तुम्हारी बातें थी।

मेरे जहान में सिर्फ तुम्हारा ,
एक सुकून सा था।

चांद की रोशनी में मेरा चांद मेरे साथ था,
मोहब्बत का एहसास था।

आज ही का दिन था
क्या तुम्हें वो पल याद है.....
क्या तुम्हें वो रात याद है...........


जो समय साथ हमारा था