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जलियांवाला बाग हत्याकांड
अमृतसर की अमर धरा के अमर सपूतों तुम्हें सलाम।
धन्य है जीवन तुम सबका, जो आया निज देश के काम।।
बाग जला जलियांवाला तड़तड़ का यकायक शोर हुआ।
इंसानों से भरा वह चमन, पलभर में खून का ढेर हुआ।
खोए थे वो चिंता में भारत माँ की बेड़ियों पर।
कैसे हो आजाद देश फिरंगियों के चंगुल फंसकर।
धूर्त फिरंगी डायर ने बर्बरता दिखलाई थी।
बेबस निहत्थे लाचारों पर गोलियां चलवाईं। थी।
देश के बेटे बेटी सब खूं से हो लथपथ लेट गए।
कुछ पड़े विलखते, तड़पते रहे, कुछ धोख लगाए बैठ रहे।
मौत की नींद सोने लगे, कुछ घायल सिंह सा...