...

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ख़्वाब
तुमसे तुम्हारी तरह ही सवाल करूंगी,
होती हूँ जैसे वैसे तुम्हें भी बेहाल करूंगी,

लाजवाब तुम्हारी बातों का जैसा असर होता है मुझे,
उसी तरह तुम्हें भी कभी लाजवाब करूंगी,

एक दिन जिऊंगी तुमसे छीनकर तुम्हारा वक्त मैं भी,
करके तुम्हें मौन मैं स्वयं को गुलाब करूंगी,

और जो ना झेल पाए तुम उस पर कटाक्ष मेरे,
मैं फ़र्ज़ अपना निभाऊंगी, तुम्हारा ख़्याल करूंगी,

इस तरह जीने के बाद उस तरह जिऊंगी मैं इक दफा,
गमगीन अपने पलों को एक ही बार में खुशहाल करूंगी।
© @Deeva