धर्म....
खुद के अंदर के भगवान को खोकर
मूर्तियों में भगवान खोज रहा है
नदियों में नाले बहाकर
उसी नदी में जाकर पाप धो रहा है
धर्म के नाम पर यह कैसा माया का खेल हो रहा है
ढोंगीयो के सामने पूरा समाज झुक रहा है..
धर्म कहता है कि,ना पाप कर तू
धर्म के नाम पर यहां हजारों बिक रहे क्यों?...
मूर्तियों में भगवान खोज रहा है
नदियों में नाले बहाकर
उसी नदी में जाकर पाप धो रहा है
धर्म के नाम पर यह कैसा माया का खेल हो रहा है
ढोंगीयो के सामने पूरा समाज झुक रहा है..
धर्म कहता है कि,ना पाप कर तू
धर्म के नाम पर यहां हजारों बिक रहे क्यों?...