...

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छोड़ों आज कविता रहने दो
एक के बाद एक कहानी
खत्म हुई, बस बची निशानी
देख निशानी उदासी छाई
भर आया आँखों में पानी
कागज कलम को तजकर
कह रहा मन आँसू बहने दो
छोड़ों आज कविता रहने दो

जीवन के इस बीच पथ पर
बैठा बटोही कब का थककर
आज देख दशा वर्तमान की
उठती नहीं है जिव्हा पलभर
न हो लगन किसी मंजिल की
तब बात बची क्या कहने को
छोड़ों आज कविता रहने दो
© प्रियांशु सिंह