45 views
छोड़ों आज कविता रहने दो
एक के बाद एक कहानी
खत्म हुई, बस बची निशानी
देख निशानी उदासी छाई
भर आया आँखों में पानी
कागज कलम को तजकर
कह रहा मन आँसू बहने दो
छोड़ों आज कविता रहने दो
जीवन के इस बीच पथ पर
बैठा बटोही कब का थककर
आज देख दशा वर्तमान की
उठती नहीं है जिव्हा पलभर
न हो लगन किसी मंजिल की
तब बात बची क्या कहने को
छोड़ों आज कविता रहने दो
© प्रियांशु सिंह
खत्म हुई, बस बची निशानी
देख निशानी उदासी छाई
भर आया आँखों में पानी
कागज कलम को तजकर
कह रहा मन आँसू बहने दो
छोड़ों आज कविता रहने दो
जीवन के इस बीच पथ पर
बैठा बटोही कब का थककर
आज देख दशा वर्तमान की
उठती नहीं है जिव्हा पलभर
न हो लगन किसी मंजिल की
तब बात बची क्या कहने को
छोड़ों आज कविता रहने दो
© प्रियांशु सिंह
Related Stories
120 Likes
30
Comments
120 Likes
30
Comments