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पत्थर की दुनिया...✍️
पत्थर की दुनिया जज़्बात नहीं समझती, दिल में क्या है वो बात नहीं समझती, तनहा तो चाँद भी सितारों के भीच में है, पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती।
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करो सोने के सौ टुकडे तो
क़ीमत कम नहीं होती
बुज़ुर्गों की दुआ लेने से
इज्ज़त कभी कम नहीं होती.
जरूरतमंद को कभी दहलीज
से ख़ाली ना लौटाओ,
अल्लाह के नाम पर देने से
दौलत कम नहीं होती.
पकाई जाती है रोटी जो
मेहनत के कमाई से,
हो जाए गर बासी तो भी
लज्ज़त कम नहीं होती.
याद करते है अपनी हर
मुसीबत में जिन्हें हम..
गुरु, और माँ बाप् के सामने
झुकने से गर्दन नीचे नहीं होती.


© अल्फाज़.शायरी...✍