सुकू
यहाँ सब ही किसी न किसी उलझन में है
थोड़ा या ज्यादा सब ही मंथन में हैं
सुकून किसी को नहीं यहां मयस्सर
तलाश- ए-सुकूं की जुस्तजू में है हर एक
कहाँ मिलेगा सुकून कहाँ किसको यह पता है?
होंगे जब आराम को आतुर
चिर निंद्रा को करंगे आलिंगन जब आखिर
सुकून का बिस्तर होगा जब लकड़ियों पर हाज़िर
इंसान की ज़िंदगी है ज़नाब
मौत पर ही मिलेगा सुकूं आखिर
थोड़ा या ज्यादा सब ही मंथन में हैं
सुकून किसी को नहीं यहां मयस्सर
तलाश- ए-सुकूं की जुस्तजू में है हर एक
कहाँ मिलेगा सुकून कहाँ किसको यह पता है?
होंगे जब आराम को आतुर
चिर निंद्रा को करंगे आलिंगन जब आखिर
सुकून का बिस्तर होगा जब लकड़ियों पर हाज़िर
इंसान की ज़िंदगी है ज़नाब
मौत पर ही मिलेगा सुकूं आखिर