...

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kitaabe ishq tum bano paano pe mohabbat hum bhar denge...
बडा़ सुकून था, जब न थी मोहब्बत हमें..!
तुमसे इश्क़ क्या हुआ, दिल बेचैन रहने लगा..!!

अच्छे ने अच्छा जाना मुझे ..........
बुरे ने बुरा जाना मुझे .......
जिसकी जैसी सोच थीं उसने वैसा पहचाना मुझे ।

फिक्र इतनी कि तुम्हें ख़ुश देखना हैं..
बेफिक्र इतना चाहे किसी के साथ रहो.;

अब नही करेंगें हम फिक्र तेरी,
क्योंकि तुम्हारी फिकर तो ज़माना करता हैं।।

किसी को अब थामकर नही रक्खा जा सकता.
ये गिरती हुई शख़्सियत का लड़खड़ाता दौर है.

किताबे इश्क तुम बनो,
पन्नों पर मोहब्बत हम भर देंगे...!!
© ӄɨֆɦǟռ ǟʀʏǟ