...

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सावन
आज हवा कुछ अलग चली,
पत्ते एक ज़रे से उठे,
पेड़ो की शाखाएं कुछ ऐसी जुली,
आसमान में जैसे कोई युद्ध की घोषणा हो रही हो,
एक बुंद गिरी,
तब इस तपती जननी पे,
सब थम सा गया,
जैसे इस जननी को एक आराम सा मिला हो,
वैसे ही...