...

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चाहत
अपने लफ्जो से मै कुछ भी इजहार नहीं करता,
इसका ये मतलब नहीं कि में तुझसे प्यार नहीं करता,
चाहता हूं मै तुझे आज भी लेकिन,
तेरी सोच में अपना दिल बेकरार नहीं करता,
तमाशा न बन जाए कहीं मोहब्बत मेरी,
इसलिए अपने दर्द को हमराज नहीं करता,
जो कुछ मिला उसी से खुश हूं,
तेरे लिए दुनिया से तकरार नहीं करता,
पर कुछ तो बात है तेरी अदाओं में,
वरना तुझे चाहने की खता मै बार बार नहीं करता।।