...

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ख़ामोशी.
मैंने देखा है ख़ुद को ख़ुद से लड़ते हुए l
हर बार मात खुद से ही खा जाता हूँ ll
कोई बेगाना क्या मुझे सताएगा l
अपना दुश्मन खुद ही बन जाता हूँ ll
अल्फाज़ो के मायने सीखा ही नहीं कभी चुप भी रहना आया ही नहीं,
कभी कहा कुछ किया कुछ क्या सही क्या गलत समझ आया ही नहीं,
अब बस एक ख़ामोशी पाल खुद को बदल लेते है l
मेरे ख्याल हर बार मुझसे ये कहते है l
क्यों तू चाहता है सब तेरे हो तेरी ख़ामोशी के भी राज़ गहरे हो ll

© Amuu_speaks