...

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वक्त कर्ज़ चुकाने आया है
इश्क का कर्ज़ ,
वक्त चुकाने आया है ,
बचपन के हिसाब, अब जुड़ाने आया है ।

वक्त बदला , हम बदले ,
पर ये अफसाने वहीं पुराने लाया है ।

दर बदर घूमकर सारा जहां,
सुकून तेरे ही सिरहाने आया है ।

दुआ का पता नहीं ,
पर खुदा चाहतें पढ़ता है।
कच्चे धागों को फिर से उलझाने आया है ।

#Firstlove


© mukesh_syahi