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क्यों हैं ?
जब चाहत संग जीने की हैं तो मरना क्यों हैं?
समझते हैं खामोशियों को तो हुंगारा भरना क्यों हैं?
वादा हैं जब खुश रखने का तो हमे लड़ना क्यों हैं?
इश्क़ में डूब कर जिया जा सकता हैं तो तरना क्यों हैं?
साथ रहकर जीत सकते हैं तो जुदा होकर हरना क्यों हैं?
ऐसे भी भाती हो 'ताज' के मन को तो बताओ संवरना क्यों हैं?
© taj
समझते हैं खामोशियों को तो हुंगारा भरना क्यों हैं?
वादा हैं जब खुश रखने का तो हमे लड़ना क्यों हैं?
इश्क़ में डूब कर जिया जा सकता हैं तो तरना क्यों हैं?
साथ रहकर जीत सकते हैं तो जुदा होकर हरना क्यों हैं?
ऐसे भी भाती हो 'ताज' के मन को तो बताओ संवरना क्यों हैं?
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