//इंसान कहां खो गया है//
पिघलता था जो औरों के लिए
आज पाषाण हो गया है
भगवान बनने की कोशिश में
आज हैवान हो गया है
ना जाने वो मासूम सा इंसान
आज कहां खो गया है
खुशियों के फूल खिलते थे जहां
खाली वो बागान हो गया है
सींचा जिसने अपने ख़ून-पसीने से
अकेला वो बागबान हो गया है
ना जाने वो मासूम सा इंसान
आज कहां खो गया है
औरों के दु:ख-दर्द बांटने वाला
ख़ुद से ही परेशान हो गया है
सजती पास-पड़ोस की महफ़िल जहां
ख़ाली वो मैदान हो गया है
ना जाने वो मासूम सा इंसान
आज कहां खो गया है
© shobha panchariya
#quoteofmine
#writco
#इंसान
आज पाषाण हो गया है
भगवान बनने की कोशिश में
आज हैवान हो गया है
ना जाने वो मासूम सा इंसान
आज कहां खो गया है
खुशियों के फूल खिलते थे जहां
खाली वो बागान हो गया है
सींचा जिसने अपने ख़ून-पसीने से
अकेला वो बागबान हो गया है
ना जाने वो मासूम सा इंसान
आज कहां खो गया है
औरों के दु:ख-दर्द बांटने वाला
ख़ुद से ही परेशान हो गया है
सजती पास-पड़ोस की महफ़िल जहां
ख़ाली वो मैदान हो गया है
ना जाने वो मासूम सा इंसान
आज कहां खो गया है
© shobha panchariya
#quoteofmine
#writco
#इंसान