...

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“झिझक”
झिझक जाती थी तुम
जब कभी मैं तुझे छू लेता था
अब बेझिझक मेरी बाहों में आ जाती हो
माँगी थी बस इक क़तरा ख़ुशी
मगर अब कोई मुझ सा धनवान नहीं।
#ramphalkataria
© Ramphal Kataria