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इक तरफ़ा इश्क़ के अफ़्साने.............✍🏻
हमारी इक तरफ़ा इश्क़ के अफ़्साने बहुत थे
उस बेवफ़ा मोहब्बत के हम भी दीवाने बहुत थे
पल - पल होते इश्क़ के खेल तमाशे यहां तो
सौदागरों के क़िस्से जाने - पहुँचाने बहुत थे

आंखों में अधूरी मोहब्बत की उल्फ़त क़ैद है
इन लबों पे चढ़ते जाम के मय-ख़ाने बहुत थे
यहां कुछ नहीं था तो बस मोहब्बत की रूह
इक तरफ़ा मोहब्बत के ग़म-ख़ाने बहुत थे

यूं ही नहीं इक अजनबी चेहरे की याद में हूं
मेरे पास ख़ामोश ज़ख़्मों के पैमाने बहुत थे
अधूरी मोहब्बत की आज भी तस्वीर रखें हुए
दिल्लगी की तमाम बातों पे जुर्माने बहुत थे

चारों तरफ़ इश्क़ के सौदागरों का काफ़िला है
उनकी निगाहों में वफ़ाओं के बहाने बहुत थे
इश्क़ के सफ़र में तन्हाइयों का ज़िक्र लम्बा है
ना जाने क्यों यहां मोहब्बत के फ़साने बहुत थे

जाना पहचाना चेहरा अब बेगानों की भीड़ में
झूठी मूठी मोहब्बत के ख़्वाब-ख़ज़ाने बहुत थे
उसने आज़माकर छोड़ दिया अश्कों के साथ
ज़माने में झूठी मोहब्बत के कार-ख़ाने बहुत थे

© Ritu Yadav
@My_Word_My_Quotes