...

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प्रिय बचपन
#स्मृति_कविता

बचपन मेरा बड़ा निराला ,
बहुत ही सुंदर ,बहुत ही प्यारा ,
मीठी बचपन की कुछ यादें,
ऐसी ,जो हम भूल न पाते ,

बीता बचपन मेरा वहां ,
जन्नत जैसा लगता जहां,
हरियाली और फूलों के बाग,
और देखो चूल्हे की आग,

नन्ही सी थी जब से मुझको,
याद वहां की हर एक बात,
नहीं भुलाई जा सकती हैं,
बचपन की ये मीठी याद,

अंगुली पकड़कर मां -दादी संग,
खेतों में तब मेरा जाना,
कभी ठुमककर चलना खेतों में,
कभी लुढ़ककर गिर जाना,

मां -दादी को कभी कभी तो ,
बेहद जिद अपनी दिखलाना ,
खेलते जब मुझसे वो दोनो ,
जोर -जोर से खिलखिलाना ,

बहनों की ,छोटी बहना बन,
नखरे उनसे खुद उठवाना ,
हल्की सी खरोंच पड़े तो,
रो- रोकर सिर पर जमीं उठाना,

खेतों की मेड़ों पे बैठकर,
रानी सा वो हुक्म चलाना ,
सबकी लाडली गुड़िया बनकर,
गोदी- गोदी घूमने जाना,

जैसे -जैसे बड़े हुए हम ,
काम थे होते घर के करने ,
कभी तो लाएं घास काटकर ,
कभी जो जाते पानी भरने,

व्यस्त जिंदगी थी लेकिन वह,
जन्नत से भी प्यारी थी ,
काश फिर मिल जाए जीने को ,
सपनों की दुनियां न्यारी थी .....

सपनों की दुनियां न्यारी थी .....










© Munni Joshi