...

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"माँ"
"माँ "
क्या लिखूँ! 'माँ' तेरे लिए ।
'भगवान 'को तो कभी देखा नहीं
तू ही 'भगवान' है!'माँ' मेरे लिए ।
छोटा सा था तूने ही उँगलि पकड़ कर चलना सिखाया,
बात बात पर रूठ जाता था तूने ही तो मुझे मनाया,
कभी कोई गलती हो जाती थी मुझसे!पापा की डाँट न पड़े,तुने ही तो अपने आँचल में छुपाया।खेलते खेलते थक जाया करता था तूने ही तो अपनी गोद में सुलाया 'माँ '।
तुझे 'भगवान' कहूँ या 'माँ ' दोनों में कोई तुलना नहीं मेरे लिए।
जितना लिखूँ कम है 'माँ 'तेरे लिए !इस सारे जहाँन की खुदाई लिखूँ 'माँ' तेरे लिए।

क्या लिखूँ! 'माँ' तेरे लिए ।
'भगवान 'को तो कभी देखा नहीं
तू ही 'भगवान' है!'माँ' मेरे लिए।।

© himanshu verma