...

12 views

सन्यासी
स्पर्श नाम था बस
छू मुझ को हवा सी निकले
तपती देह पर
दो बून्द दवा सी निकले
तुम कैसे सांसारिक हो
मेरे पुरुष
निकले ऐसे बाहर मुझसे कि
जैसे सन्यासी निकले
© Ninad