प्रेम की भीख
क्षितिज के पार,
रहा धरा का आँचल नभ संवार।
कल्पना अनूठी,
लगती परियों की रानी हो रूठी।
अनोखा मिलन,
परंपरावादी सोच का था चलन।
"नीर"का झरना, ...
रहा धरा का आँचल नभ संवार।
कल्पना अनूठी,
लगती परियों की रानी हो रूठी।
अनोखा मिलन,
परंपरावादी सोच का था चलन।
"नीर"का झरना, ...