कागज़ की नाव थी...!!!
#तूफानीयात्रा
कागज़ की नाव थी, छोटी और हल्की,
तूफ़ान की लहरों में, बसी थी उसकी झलक सी।
चंचल हवा ने उड़ाया, पानी ने थपेड़े दिए,
फिर भी वह बढ़ती गई, थकान की रेखा न लिए।।१।।
आकाश में बिजली चमकी, बूँदें जोर से बरसीं,
धरती का रोष था, जलधारा उफनी।
पर कागज़ की नाव, डगमगाई नहीं,
लहरों के साथ नाची, झुकी नहीं।।२।।...
कागज़ की नाव थी, छोटी और हल्की,
तूफ़ान की लहरों में, बसी थी उसकी झलक सी।
चंचल हवा ने उड़ाया, पानी ने थपेड़े दिए,
फिर भी वह बढ़ती गई, थकान की रेखा न लिए।।१।।
आकाश में बिजली चमकी, बूँदें जोर से बरसीं,
धरती का रोष था, जलधारा उफनी।
पर कागज़ की नाव, डगमगाई नहीं,
लहरों के साथ नाची, झुकी नहीं।।२।।...