...

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aakhri mulaqaat bhi...
तू है भी ऐसे मेरे पास यूँ,
दिल हे साथ तेरे उदास क्यों,

हे प्यास तो भुजी भुजी,
फिर छलक रहे हैं जाम क्यों,

मुँह सिये बैठे हैं यूँ,
ठंडी हो रही ये चाय क्यों,

जरा बोल दे हे बात क्या,
समझ तो रहा में है राज़ क्या,

होना हे अलग तो अब हो ही जा,
कोई और हुआ खास तो मुझे ऐतराज़ क्या,

मौसमों पर ना बात कर,
बरसती आँखों के जज़्बात क्या,

तेरे बाद फिर ना मुस्कुरा सके,
पर रखा ज़िन्दगी का ख्याल भी,

खूब आये तेरे बाद भी पर हुआ ना कोई हादसा,
में वहीं से ना आगे बढ़ सका जहां बदला था तूने रास्ता,

फिर गुज़रा ज़िन्दगी का एक साल भी "जावेद "
मुझे आज बारिशों से याद आयी वो आखरी मुलाक़ात भी....

© y2j