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जलते रहें चलते रहें
जलते रहें चलते रहें

जिंदगी के रास्ते बहुत संगीन है
यूं तो हमराह भी बहुत मिले
मगर
पल दो पल का साथ ही मिला
और बस खामोश ही
चलते रहें, चलते रहें
या फिर
रास्ते बदल बदल कर
दूसरे मोड़ों पर मिले
वो उस पार तो हम इस पार
फासले बढ़ते रहें, बढ़ते रहें
और हम भी उसी रूप में
ढ़लते रहें, ढ़लते रहें
पर अब तो बहुत थक गए हैं
मायूस हो गए हैं
तन्हाइयों से घबरा कर बस
घुटते रहें, घुटते रहें
दास्तां किससे कहें हम जाकर
बस यूं ही जलते रहें, जलते रहें
बस यूं ही चलते रहें।
© Jîज्ञासा