...

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बढ़ती तेज बेरोजगारी है
आधुनिक शिक्षित समाज में
बढ़ती तेज बेरोजगारी है

अपने लायक ढूंढ रहे काम
लाखों पढ़े लिखे कर्मकारी हैं

मुझे लगता है कि ये बेरोजगारी
खुद हमने ही पाली है

ये नही , वो नही ,कोई और
न जाने मैने कितनी नौकरी ठुकराई है

बी ए - एम ए की पढ़ाई कर
लाखों खर्च कर डारे बाप के
बैठा हूं घर पर
कोई नौकरी न रास आई है

बिजनीस कर लेता पर
पूरा पैसा पढ़ाई पर लगाया
दौड़ता रहा पूरी रोटी के पीछे
पूरी रोटी न तो आधी हाथ आई है।










#poem #poetrycommunity
© -Neeraj Mishra "Neer" ✍️