...

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छुपा के रखो वक्त को तुम
आओ हम फिर से लौट चले,
ज़िन्दगी को और खूबसूरत बनाने,
छुपा के रखो वक्त को तुम,
कहीं वो फिर से चला न जाए,
फिर से खुशियां लौट आई है,
चेहरे पर खुशियां झलक रही है,
छुपा के रखो वक्त को तुम,
कहीं वो फिर से चला न जाए,
जिम्मेदारी से भरी इस ज़िन्दगी में,
सुकून कहीं खो सा गया है,
आओ फिर से एक आशियाना बनाए,
जो सुकून के पल को यादगार बनाए,
बस एक काम जो तुमको है करना,
छुपा के रखो वक्त को तुम,
कहीं वो फिर से चला न जाए।
© Srishti Morya