...

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ख्वाहिशे
स्वर्ण रथ पर
बैठ कर मैंने. ख्वाहिश की
कि काश
वो धरती पर घिसटता हुआ फ़क़ीर भी किसी दिन स्वर्ण रथ में बैठ कर. मेरी तरह सैर कर पाता तो कितना अच्छा होता
तभी किसी ने पीछे से चिल्ला कर कहा " तुम्हारी ये ख्वाहिशे मानवीय हैं पर अच्छा होता तुम उस फ़क़ीर के लिए ये ख्वाहिशे स्वर्ण रथ पर न बैठ कर उसकी तरह घिसट्ते. हुऐ करते? "