वक्त तुमने मुझे यूँ झुका तो लिया..........
वक्त तुमने मुझे यूँ झुका तो लिया,
हौसलों को मेरे न डिगा पाओगे।।
पंख काटे हैं तुमने बेशक मेरे,
पर गगन को न मुझसे बचा पाओगे।।
मैं हूँ चंचल सा जल, रुक न पाऊँ कहीं
कैसे कह दूँ कि मंजिल को पाऊँ नहीं
मैं गिरूँगा तेरी ठोकरों से मगर,
सोचना मत कि उठ न पाऊँ कहीं
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हौसलों को मेरे न डिगा पाओगे।।
पंख काटे हैं तुमने बेशक मेरे,
पर गगन को न मुझसे बचा पाओगे।।
मैं हूँ चंचल सा जल, रुक न पाऊँ कहीं
कैसे कह दूँ कि मंजिल को पाऊँ नहीं
मैं गिरूँगा तेरी ठोकरों से मगर,
सोचना मत कि उठ न पाऊँ कहीं
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