...

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वक्त तुमने मुझे यूँ झुका तो लिया..........
वक्त तुमने मुझे यूँ झुका तो लिया,
हौसलों को मेरे न डिगा पाओगे।।
पंख काटे हैं तुमने बेशक मेरे,
पर गगन को न मुझसे बचा पाओगे।।

मैं हूँ चंचल सा जल, रुक न पाऊँ कहीं
कैसे कह दूँ कि मंजिल को पाऊँ नहीं
मैं गिरूँगा तेरी ठोकरों से मगर,
सोचना मत कि उठ न पाऊँ कहीं

चाहे काँटे लगा लो चाहुँओर तुम,
फूल खुशियाँ मेरी न छुपा पाओगे।
वक्त तुमने मुझे यूँ झुका तो लिया,
हौसलों को मेरे न डिगा पाओगे।।

आज मीठे हो तुम,और खारा हूँ मैं
है अंधेरा बहुत, बेसहारा हूँ मैं
अपने रण की तो ये, शुरूआत है
तुम न जीते अभी, न ही हारा हूँ मैं

तुमने छिनी है मुझसे महफ़िल भले,
गीत मेरे न मुझसे चुरा पाओगे।
वक्त तुमने मुझे यूँ झुका तो लिया,
हौसलों को मेरे न डिगा पाओगे।।



© @VaishaliUpadhyay