...

3 views

**** दहलीज़ के पार ***
बंध गई थी एक दिन ,पी के आंगन में खूंटे से,
वही था सँसार उसका ,वही उसकी दुनिया थी,

दहलीज़ के पार खड़े थे ,हज़ारों ख़्वाब उसके,
वहीं नोचे थे पँख , छीन लिए थे अंदाज़ उसके,

आँखों से बह गए...