परवरिश
शादी कर वह बंद आंखो से
आती हे शौहर के घर दौड,
परिवार की लाडली माता पिता समित
अपने सपनो को छोड।
लाख गुना पतीसे होशियार,
बच्चो के लिए घर बैठे आखिर।
अपना भविष्य क्या?जरासी भी आहट उसके मन ना आती।
बच्चा मेरा हैे परम कर्तव्य,यह बात मन को वह समझाती।
घर के काम से मिलते ही फुरसत,
बच्चो पर करे संस्कार।
उसका तो सिर्फ यही लक्ष है,
दे बच्चे के जीवन को योग्य आकार।
बच्चे के...