मंज़िल
जब बुलंदियों को छूँ लेंगे हम, शायद तुम भी तभी साथ होंगे,
पर क्या पता जमाने के इस बीच तुम भी मेरे खिलाफ़ होंगे।
जानती हूँ मुश्क़िलें बहुत मिलेंगी मेरे इस सफ़र पर,
पर समझों,...
पर क्या पता जमाने के इस बीच तुम भी मेरे खिलाफ़ होंगे।
जानती हूँ मुश्क़िलें बहुत मिलेंगी मेरे इस सफ़र पर,
पर समझों,...