...

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ज़रा बाहर निकल के देखूँ, कोई आया है... 🤫🤔
एक अर्से के बाद मुझको होश आया है,
किसी ने मुझको गहरी नींद से जगाया है ||
बहुत पहले ही दफ्न कर चुका सपने सारे,
ज़माने ने सनम, मुझे बहुत सताया है ||

हौसला देते हैं पहले, फ़िर तोड़ते हैं उसे,
ऐसे लोगों के बीच ज़िंदगी बिताया है ||
क्यूँ गया छोड़ के मुझको तू, यूँ ऐसे तन्हा,
तेरी यादों ने मुझको रात भर जगाया है ||

जो शोर दिल में हुआ है कहीं वहम तो नहीं,
अगर वहम है तो फ़िर मुझको क्यूँ जगाया है ||
किसी की दस्तक हुई है घर के चौखट पर,
ज़रा बाहर निकल के देखूँ, कोई आया है ||

© 💞चन्दन नाविक 'विनम्र'💞