...

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उम्मीद
गुजरते हर एक लम्हे में तुम्हारा एहसास है।
शायद तुम कोई पहचाना सा चेहरा हो,
शायद हमने बात की हो, वक्त काटी हो साथ,
शायद हसे हो जि भारके एक साथ,
शायद हम मिलें हो कई बार, या
शायद तुमसे आज तक कभी मिला ही नहीं,
शायद तुमको मैं जानता ही नहीं,
शायद तुम बस एक अनकही, अधूरी कल्पना हो,
शायद तुम हो ही नही।
हर एक शायद से थोड़ी उम्मीद जुड़ी है मेरी,
के कोई एक शायद सच या झूठ साबित हो जाए,
मैं उम्मीदों के भवर से आगे बढ़ जाऊं जिंदगी में,
तुम्हारा हाथ थामे, या फिर अकेले,
तुम कौन हो? हो भी या नही?
पता नही मुझे, बस
पता है ये चांद दबेहुए एहसासों का, के
इंतजार है तुम्हारा, अकेला हूं मैं, और
गुजरते हर एक लम्हे में तुम्हारी कमी है।
© amitmsra