...

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तल्ख़ लहजा छीन कर ले जाता है सबकुछ
उसके लहजे में देखकर तल्ख़ अल्फाज़ अपने लिए....
हमने महफूज़ कर लिए सब एहसासत फ़िर अपने ही लिए....
क्या होगा वज़ाहत करने से फ़िर अपने लिए...
जब जवाब आए उधर से कड़वाहट खु़द में इस क़दर लिए...
बस ख़ामोश रह कर सब्र की मंज़िल से गुज़र जाने के लिए....
मुस्कुराहट रखिए...