कविता: "#दीये_मिट्टी_के"
कविता: "#दीये_मिट्टी_के"
बनाकर "दीये मिट्टी" के, ज़रा सी "आस" पाली है,
मेरी "मेहनत" ख़रीदो लोगों, मेरे घर भी "दीवाली" है।
चमकते शहर की रौनक में कहीं न खो जाए वो,
जो अपनी मेहनत से हर घर को रौशन करता आया है वो।
ये तो कोशिश कर रहे हैं, कि दीपक हमारे घर जले,
मगर अब...
बनाकर "दीये मिट्टी" के, ज़रा सी "आस" पाली है,
मेरी "मेहनत" ख़रीदो लोगों, मेरे घर भी "दीवाली" है।
चमकते शहर की रौनक में कहीं न खो जाए वो,
जो अपनी मेहनत से हर घर को रौशन करता आया है वो।
ये तो कोशिश कर रहे हैं, कि दीपक हमारे घर जले,
मगर अब...