...

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घर कि बेटी।
घर सजा है बहार कि तरह,
दीवारें भी जग मगा रहे हैं,
घी के दिए घर कि रौनक बढ़ा रहे हैं।
मां की भी आंखें नम हैं,
जाने किस बात का गम है ।
सोफे पर बैठ कर,
न जाने कहां खोए हैं,
हिम्मत जुटा रहे हैं,
क्योंकि कल बेटी जो विदा कर रहे हैं।
आज देख ले अपनी गुड़िया को जी भर के,
जाने कोन बांधेगी...