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मोह का बन्धन
#पौराणिककथाओंकीपुनरवृत्ति
एक बार विष्णु भगवान कुछ रहे थे सोच
इसी वक्त नारद जी आए बैकुण्ठ धाम
प्रभु के दर्शन किये, किये हाथ जोड़ प्रणाम
मुस्कुराते हुए प्रभु देखे नारद जी की ओर
और लगे कहने, नारद जी अचानक क्यों हुआ आना
क्या किसी मनुष्य का हाल आज आपने जाना
नारद जी बोले प्रभु से,
इन मनुष्य के हाथ में सब कुछ होते हैं
फिर भी नादान मनुष्य हर बात पर रोते हैं
ना जाने किस बात से करते हैं ये इन्तजार
किसी से मोह तोड़ने को क्यों नहीं होते तैयार
प्रभु मुस्कुराते हुए बोले नारद तुम मोह समझते हो
नारद जी गर्व से बोले ,
मैं मोह के बन्धन से परे हुं
प्रभु बोले ठीक है ,इतना कहते ही
नारद जी स्वयं को पाते हैं एक घर में
जहां पर है उनका पुरा परिवार
वो हैं उनकी पत्नी...