...

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दर्द
ये दर्द नहीं दुश्मन ए जां है
हरबार चला आता है।

पहलू में एक बार जगह क्या दे दी,
अब होकर ब़ेकरार चला आता है।

चाहे देखूं , चाहे न बात करुं ,
बनके बेहिस बार बार चला आता है।

भा गया है इसे मेरा नशेमन इतना ,
अब हो कर बेज़ार चला आता है।।

© khak_@mbalvi